प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं और पत्रकार



आधुनिक समय मे पत्रकारिता का जितना विस्तार हुआ है, वह उतनी ही वैविध्यपूर्ण भी हुई है । पत्रकारों ने अपने निरंतर प्रयासों से हिंदी की पत्रकारिता को एक ऊँचाई और गंभीरता दी है । इस दौर के यशस्वी संपादक के रूप में अज्ञेय, धर्मवीर भारती, राजेन्द्र माथुर ने अपनी अलग जगह बनाई, तो क्षेत्रीय पत्रों से जुड़े राहुल बारपुते (नई दुनिया), कर्पूरचंद्र कुलिश (राजस्थान पत्रिका), अशोक जी (स्वतंत्र भारत), की ऊँचाई कम करके नहीं आंकी जा सकती । इसके अलावा प्रभाष जोशी (जनसत्ता), राजेन्द्र अवस्थी (कादम्बिनी), अरुण पुरी (इण्डिया टुडे), जयप्रकाश भारती (नन्दन), सुरेन्द्र प्रताप सिंह (रविवार एवं नवभारत टाइम्स), उदयन शर्मा (रविवार एवं सण्डे आब्जर्वर) पत्रकारिता में सर्वथा एक नई प्रवृत्ति के वाहक बने ।5

इसके अलावा डॉ. नंदकिशोर त्रिखा, दीनानाथ मिश्रा, विष्णु खरे, महावीर अधिकारी, प्रभु चावला, राजवल्लभ ओझा, जगदीशप्रसाद चतुर्वेदी, चंदूलाल चंद्राकर, मृणाल पांडेय, शिव सिंह सरोज, घनश्याम पंकज, राजनाथ सिंह, नरेन्द्र मोहन, गणेश मंत्री, रामगोपाल माहेश्वरी, विश्ववाथ, बनवारी, राहुल देव, रामबहादुर राय, राधेश्याम शर्मा, भानुप्रताप शुक्ल, तरुण विजय, रघुवीर सहाय, मायाराम सुरजन, रूसी के करंजिया, नंदकिशोर नौटियाल, आलोक मित्र, अवध नारायण मुद्गल, राजेन्द्र यादव, डॉ. हरिकृष्ण देवसरे, गिरिजाशंकर त्रिवेदी, शीला झुनझुनवाला, सूर्यकांत बाली, आलोक मेहता, रहिवंश, अभय छजलानी, राजेन्द्र शर्मा, रामाश्रय उपाध्याय, अच्युतानंद मिश्र, विश्वनाथ सचदेव, गुरुदेव काश्यप, रमेश नैयर, बाबूलाल शर्मा, यशवंत व्यास, नरेन्द्र कुमार सिंह, महेश श्रीवास्तव, जगदीश उपासने, मुजफ्फर हुसैन, अश्विनी कुमार, रामशरण जोशी, दिवाकर मुक्तिबोध, ललित सुरजन, मधुसूदन आनंद, मदनमोहन जोशी, बबन प्रसाद मिश्र, रामकृपाल सिंह जैसे तमाम पत्रकारों की साधना वं नैरंतर्य के चलते हिंदी पत्रकारिता आज इस मुकाम पर पहुंची है । उसके विचार प्रस्तुति एवं जनधर्मी स्वरूप को बनाए रखने में इन पत्रकारों का प्रभाव भुलाया नहीं जा सकता ।

धर्मयुग एवं दिनमान तो इस संदर्भ में पत्रकारिता के स्कूल साबित हुए, जहां से युवा पत्रकार एवं प्रखर पत्रकारों की टोली सामने आई । क्षेत्रीय पत्रों में नई दुनिया (इंदौर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), स्वतंत्र भारत (लखनऊ), दैनिक जागरण (कानपुर), अमर उजाला (आगरा), बेहतर स्कूल साबित हुए । हमारे तमाम बड़े एवं राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार इन संस्थाओं की उपज रहे ।

सन्दर्भ –

1. पत्रकारिता का इतिहास एवं जनसंचार माध्यम, डॉ. संजीव भानावत (पृ. 21,22,23)
2. समाचार पत्रों का इतिहास, अम्बिका प्रसाद वाजपेयी (पृ. 94-95)
3. हिंदी पत्रकारिता विकास और विविध आयाम, डॉ. श्रीमती सुशीला जोशी (पृ. 24,25,26.27.28)
4. हिंदी पत्रकारिता, डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्रा (पृ. 23)
5. आधुनिक पत्राकारिता, डॉ. अर्जुन तिवारी (पृ. 149)
6. भारतेन्दु युगीन हिंदी पत्रकारिता, डॉ. वंशीधर लाल (पृ. 80-85)

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